अच्छे समय से ज्यादा,अच्छे इंसान के साथ रिश्ता रखो, अच्छा इंसान अच्छा समय ला सकता है, अच्छा समय अच्छा इंसान नहीं ला सकता।
अच्छे समय से ज्यादा,अच्छे इंसान के साथ रिश्ता रखो, अच्छा इंसान अच्छा समय ला सकता है, अच्छा समय अच्छा इंसान नहीं ला सकता।
सरल को कठिन बनाना आसान है,परंतु कठिन को सरल बनाना मुश्किल,और जो कठिन को सरल बनाना जानता है,वह व्यक्ति विशेष है।
सरल को कठिन बनाना आसान है,परंतु कठिन को सरल बनाना मुश्किल,और जो कठिन को सरल बनाना जानता है,वह व्यक्ति विशेष है।
समझदारी की बाते सिर्फ दो ही लोग करते हैं,एक वो जिनकी उम्र अधिक है औरदूसरे वो जिसने कम उम्र में बहुत सी ठोकरें खाई हैं।
समझदारी की बाते सिर्फ दो ही लोग करते हैं,एक वो जिनकी उम्र अधिक है औरदूसरे वो जिसने कम उम्र में बहुत सी ठोकरें खाई हैं।
जो बुरे वक्त में आपको आपकी कमिया गिनाने लग जाएउससे ज्यादा मतलबी इंसान कोई हो ही नहीं सकता।
जो बुरे वक्त में आपको आपकी कमिया गिनाने लग जाएउससे ज्यादा मतलबी इंसान कोई हो ही नहीं सकता।
उनसे सलाह कभी मत लेना जो उस पड़ाव पर है ही नहीं,जहाँ तुम पहुँचना चाहते हो,क्योंकि माता पिता व गुरु के अलावा,ज्यादातर लोग आपको आपके मार्ग से भटकाने का कार्य ही करते हैं।
उनसे सलाह कभी मत लेना जो उस पड़ाव पर है ही नहीं,जहाँ तुम पहुँचना चाहते हो,क्योंकि माता पिता व गुरु के अलावा,ज्यादातर लोग आपको आपके मार्ग से भटकाने का कार्य ही करते हैं।
समस्या का समाधान इस बात पर निर्भर करता है,कि आपका सलाहकार कौन है,यह बहुत महत्वपूर्ण है,क्योंकि दुर्योधन शकुनी से सलाह लेता थाऔर अर्जुन श्रीकृष्ण से।
समस्या का समाधान इस बात पर निर्भर करता है,कि आपका सलाहकार कौन है,यह बहुत महत्वपूर्ण है,क्योंकि दुर्योधन शकुनी से सलाह लेता थाऔर अर्जुन श्रीकृष्ण से।
आंख में पड़ा हुआ तिनका,पैरों में जुभा हुआ काँटा,और रुई में दबी हुई आग से भी भयानक है,हृदय में छुपा हुआ कपट।
आंख में पड़ा हुआ तिनका,पैरों में जुभा हुआ काँटा,और रुई में दबी हुई आग से भी भयानक है,हृदय में छुपा हुआ कपट।
हे बुद्धिमान लोगों,अपना धन उन्ही को दो जो उसके योग्य होंऔर किसी को नहीं,बादलों के द्वारा लिया गया समुद्र का जलहमेशा मीठा होता है।
हे बुद्धिमान लोगों,अपना धन उन्ही को दो जो उसके योग्य होंऔर किसी को नहीं,बादलों के द्वारा लिया गया समुद्र का जलहमेशा मीठा होता है।
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है,ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो,यह कड़वा सच है।
हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है,ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो,यह कड़वा सच है।